उप संचालक कृषि की कार्यप्रणाली पर जताया संदेह, कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन
उप संचालक कृषि की कार्यप्रणाली पर जताया संदेह, कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

लिपिक वर्गीय शासकीय कर्मचारी संघ ने दस्तावेज गुम करने का लगाया आरोप

35 साल पुराने प्रकरण का अब तक नहीं हुआ निराकरण

बैतूल। मध्य प्रदेश लिपिक वर्गीय शासकीय कर्मचारी संघ ने कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में आयोजित परामर्श दात्री की बैठक में बिंदु क्रमांक 2 पर हुई चर्चा के संबंध में कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है। सौंपे ज्ञापन में संघ के जिला अध्यक्ष शंकरसिंह चौहान ने बताया कि उप संचालक कृषि ने अपने पत्र क्र. 2262 दिनांक 28 जुलाई 2015 में इस बात का उल्लेख किया है कि श्रीमती सुशीला धिरड़े तत्कालीन निम्न श्रेणी लिपिक की सेवा पुस्तिका, जीपीएफ, पासबुक एवं व्यक्तिगत नस्ती आदि कार्यालय में उपलब्ध नहीं है, अर्थात् उनके द्वारा श्रीमती धिरड़े के समस्त दस्तावेज गुमा दिये गये हैं, तो फिर उन्हें श्रीमती धिरड़े का त्याग पत्र स्वीकृत करने वाला पत्र कहां से प्राप्त हुआ है? यह एक विचारनीय प्रश्न है। श्री चौहान ने बताया कि उप संचालक कृषि की इस लापरवाही के चलते 35 सालों से तत्कालीन निम्न श्रेणी लिपिक श्रीमती धिरड़े पेंशन से वंचित है। वर्तमान में अत्यंत गरीब परिस्थिति में जीवन यापन करने को मजबूर है। इस मामले में यह सवाल उठते है कि उपसंचालक कृषि द्वारा श्रीमती धिरड़े का त्याग पत्र दिनांक 05 अगस्त 1977 से स्वीकृत कर दिया गया था तो फिर उन्हें दिनांक  6 अगस्त 1977 से दिनांक 31 मार्च 1978 तक कुल 7 माह 26 दिन का वेतन का भुगतान किस आधार पर किया गया है? यह उनके वेतन देयक पत्रक एवं उनकी द्वितीय सेवा पुस्तिका में इस बात का प्रमाणीकरण उपलब्ध है। उप संचालक कृषि बैतूल ने अपने पत्र क्र. 2262 दिनांक 28 जुलाई 2015 द्वारा अवगत कराया कि श्रीमति धिरड़े वर्ष 1967 से दिनांक 31 सितंबर 1977 तक कृषि विभाग में कार्यरत रही तथा माह अगस्त 1977 में मेडिकल ग्राउंड पर त्याग पत्र दिया गया था, तो फिर उनका त्याग पत्र बगैर मेडिकल आधार के दिनांक 05.08.1977 से कैसे स्वीकृत किया जा सकता है ? श्रीमती धिरड़े तत्कालीन निम्न श्रेणी लिपिक को पेंशन की पात्रता की परिधि में नहीं आता है एवं पेंशन हितलाभ प्रदान करने संबंधी दिनांक 23.07. 2017 अमान्य किया गया है, तो फिर उन्हें उसी तारीख को तत्संबंध में अवगत क्यों नहीं कराया गया था ? दूसरा तथ्य उनकी द्वितीय सेवा पुस्तिका क्यों बनवाई गई थी ? तीसरा तथ्य द्वितीय सेवा पुस्तिका पर अभिप्रमाणिकरण एवं हस्ताक्षर किये जाने के संबंध में संयुक्त संचालक किसान कल्याण तथा कृषि विभाग नर्मदापुरम संभाग होशंगाबाद से मार्गदर्शन क्यों मांगा गया था? चौथा तथ्य उप संचालक किसान कल्याण तथा कृषि विभाग बैतूल द्वारा श्रीमती धिरड़े की द्वितीय सेवा पुस्तिका एवं अन्य जानकारी के साथ प्रकरण संयुक्त संचालक कोष एवं लेखा भोपाल संभाग भोपाल की अ उचित मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु क्यों भेजा गया था ? पांचवा तथ्य संयुक्त संचालक कोष एवं लेखा भोपाल संभाग भोपाल के पत्र क्रमांक 16 दिनांक 26.1.2015 के द्वारा श्रीमती धिरड़े का प्रकरण मूलत: वापस करते हुए मार्गदर्शन दिया गया कि कार्यालय प्रमुख द्वारा प्रमाणीकरण एवं प्रतिहस्ताक्षर की कार्यवाही करें तथा द्वितीय सेवा पुस्तिका की मान्यता प्राप्त करने हेतु जिला पेंशन कार्यालय से आवश्यक कार्यवाही करना सुनिश्चित करें। उक्त पत्र के परिपालन में उप संचालक कृषि बैतूल के पत्र क्रमांक 7516 दिनांक 17.02.2016 के द्वारा श्रीमती धिरड़े की द्वितीय सेवा पुस्तिका को मान्यता प्रदान करने हेतु जिला पेंशन अधिकारी बैतूल की ओर भेजी गयी है । जिला पेंशन अधिकारी बैतूल के आदेश क्रमांक 115 दिनांक 19.05.2016 के द्वारा श्रीमती धिरड़े तत्कालीन निम्न श्रेणी लिपिक की दिनांक 31.01. 1967 से त्याग पत्र तक की सेवा दिनांक 31.03. 1978 तक की अवधि के सेवा पुस्तिका भाग-1 की द्वितीय प्रति को समस्त प्रयोजनों हेतु मान्यता प्रदान की गई है। श्रीमती धिरड़े की द्वितीय सेवा पुस्तिका को मान्यता मिल जाने के बाद उप संचालक कृषि बैतूल के पत्र क्रमांक 1868 दिनांक 15.07.2016 के द्वारा श्रीमती धिरड़े की सेवा पुस्तिका पाण्डे वेतनमान में वेतन निर्धारण के जांच हेतु संयुक्त संचालक कोष एवं लेखा भोपाल संभाग भोपाल की ओर भेजी गयी थी तथा वेतन निर्धारण की जांच उपरान्त उप संचालक कृषि बैतूल को प्राप्त हुई। इस मामले में मध्य प्रदेश लिपिक वर्गीय शासकीय कर्मचारी संघ ने निष्पक्ष जांच कर न्याय दिलाने की मांग की है।