राजनीतिक द्वेष के कारण केंद्र सरकार प्रदेशवासियों के साथ कर रही भेदभाव: उपाध्याय
राजनीतिक द्वेष के कारण केंद्र सरकार प्रदेशवासियों के साथ कर रही भेदभाव: उपाध्याय

प्रतिवेदन देने के बाद भी राहत राशि नहीं मिलना दुर्भाग्यपूर्ण

फोटो-कांग्रेस कमेटी

बैतूल। देश के संघीय ढांचे में यह व्यवस्था है कि जब किसी भी राज्य पर भीषण प्राकृतिक आपदा आती है तब केंद्र सरकार का दायित्व होता है कि वह राष्ट्रीय आपदा कोष से राज्य की सहायता करे। इसी के दृष्टिगत भाजपानीत केंद्र सरकार को विधिवत रूप से एक विस्तृत प्रतिवेदन दिया गया और केंद्र सरकार से 6621.28 करोड़ रू. की मांग की गई । लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि मध्यप्रदेश सरकार द्वारा देश के प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को राहत के लिए प्रतिवेदन देने के बावजूद आज दिनांक तक केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय आपदा कोष ( एनडीआरएफ ) से एक भी पैसा नहीं दिया गया। यह बात प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता राजकुमार उपाध्याय ने कांग्रेस कमेटी कार्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में कही। इस दौरान कांग्रेस जिला अध्यक्ष सुनील शर्मा, एनएसयूआई के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष हेमंत वागद्रे, जिला प्रवक्ता हेमंत पगारिया, राहुल गांधी विचार मंच के जिलाध्यक्ष अतुल शर्मा उपस्थित थे। श्री उपाध्याय ने कहा कि बीते दिनों मध्यप्रदेश ने अतिवर्षा एवं बाढ़ से भीषणतम प्राकृतिक आपदा का सामना किया है। इस आपदा से समूचे मप्र के 52 में से 39 जिलों की 284 तहसीलें प्रभावित हुई हैं। सर्वाधिक नुकसान प्रदेश के अन्नदाता किसानों का हुआ है। लगभग 60.47 लाख हेक्टेयर की 16270 करोड़ रूपये की फसलें बर्बाद हुई हैं। लगभग एक लाख 20 हजार घरों को क्षति पहुंची है, 674 नागरिकों को अपने प्राण गवाने पड़े हैं, 11 हजार किलोमीटर से अधिक सड़कों को नुकसान पहुंचा है। एक हजार से अधिक पुल - पुलिया को क्षतिग्रस्त हुई हैं, 19735 स्कूल - बिल्डिंगों को नुकसान पहुंचा है, 218 छात्रावासों , 230 स्वास्थ्य केंद्रों, 17106 आंगनवाडिय़ों को इस भीषण प्राकृतिक आपदा से क्षति पहुंची है। इसके बावजूद केंद्र से राहत राशि नहीं दी गई है। इसी प्रकार मध्यप्रदेश की सड़कों के निर्माण और उन्नयन के लिये सेंट्रल रोड़ फंड ( सीआरएफ ) 498.96 करोड़ रूपये केंद्र द्वारा प्रदेश को जारी नहीं किये गये, जिससे अधोसंरचना विकास प्रभावित हो रहा है। वहीं केंद्रीय करों के हिस्से में 2677 करोड़ रूपये बजट प्रावधानों के हिसाब से मध्यप्रदेश को कम दिये गये हैं। खरीफ 2017 के भावांतर के 576 करोड़ रूपये, खरीफ 2018 के 321 करोड़ रूपये और अतिरिक्त 6 लाख मीट्रिक टन के 120 करोड़ अर्थात कुल 1017 करोड़ रूपये केंद्र द्वारा मध्यप्रदेश को अब तक नहीं दिये गये हैं। इसी प्रकार मध्यप्रदेश में रबी सीजन 2019 - 20 में समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीद 73.70 लाख मीट्रिक टन की है। मगर केंद्र ने सिर्फ 65 लाख मीट्रिक टन गेहूं की समर्थन मूल्य पर खरीद स्वीकृत की है। अर्थात 8.70 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद के लगभग 1500 करोड़ रूपये केंद्र सरकार ने रोक दिये हैं। यहां यह तथ्य रखना भी आवश्यक है कि वर्ष 2018- 19 में केंद्र प्रायोजित योजनाओं का मध्यप्रदेश के हिस्से की 6547 करोड़ रूपये की राशि केंद्र सरकार द्वारा कम दी गई है। जिससे प्रदेश का समावेशी विकास बहुत बुरी तरह प्रभावित हुआ है। जिसमें कृषि विकास, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, सर्वशिक्षा अभियान, आदिम जाति कल्याण, प्रधानमंत्री आवास योजना, मध्यान्ह भोजन इत्यादि सामाजिक महत्व की योजनाएं शामिल है। श्री उपाध्याय ने कहा कि यह व्यक्त करते हुये भी हमें पीड़ा होती है कि केंद्र की भाजपा सरकार ने प्राकृतिक आपदा के लिए भाजपा शासित कर्नाटक और बिहार को तुरंत राहत राशि प्रदान की, लेकिन मध्यप्रदेश के साथ राजनैतिक द्वैष की भावना के साथ काम किया जा रहा है और प्रदेश भाजपा का नेतृत्व मप्र के नागरिकों के जख्मों पर मरहम लगाने की अपेक्षा नमक छिड़क रहा है।

प्रदेश के नागरिकों के हरदम साथ कमलनाथ

 इसके साथ ही श्री उपाध्याय ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ दृढ़ संकल्पित है, मध्य प्रदेश कांग्रेस की सरकार इस कठिन घड़ी में प्रदेश के नागरिकों के साथ हर क्षण खड़ी है।