बैतूल। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद महाराष्ट्र में चल रहे सियासी ड्रामे को लेकर मंगलवार कांग्रेस के प्रवक्ता हेमंत पगारिया ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि
बहुमत का दावा करने वालों की पोल खुल गई है और अब इन दोनों नेताओं को बेआबरू होकर राज्य की जनता से माफी मांगनी चाहिए। बड़े बेआबरू हो कर तेरे कूचे से निकले हम ,बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी निकले कम । शायर की यह पंक्तियाँ महाराष्ट्र की सियासत पर सटीक बैठती है अब साफ है कि भाजपा में चाणक्यनीति के मायने प्रजातंत्र का अपहरण है भाजपा सरकार झूठ व दलबदल पर आधारित थी जो ताश के पतों सी गिर गई है। श्री पगारिया ने कहा कांग्रेस के शासनकाल में देश के दुश्मनों को रात में फांसी दी गयी थी, लेकिन भाजपा शासनकाल में गैर संवैधानिक तरीके से रात के अंधेरे में राष्ट्रपति शासन हटा कर बिना बहुमत का मुख्यमंत्री बनाकर लोकतंत्र पर कुठाराघात करते हैं उन्होंने कहा महाराष्ट्र में चले सियासी ड्रामे के बीच एक बार फिर संवैधानिक पद पर बैठे राज्यपाल की भूमिका की भी माननीय उच्चतम न्यायालय व्दारा समीक्षा की जानी चाहिए कि आखिर उन्होंने किस आधार पर आनन - फानन में देवेंद्र फडणवीस को शपथ दिलवा दी और उन्होंने सुबह तक का इंतज़ार क्यों नहीं किया? महाराष्ट्र में 12 नवंबर से राष्ट्रपति शासन जारी था। 23 नवंबर की रात इसे हटाया गया और उसके बाद सरकार का गठन हुआ। यहां सवाल यह है कि राष्ट्रपति शासन हटाने के लिए कैबिनेट की मंजूरी की ज़रूरत होती है, ऐसे में रात भर में कैबिनेट की मंजूरी कैसे ली गई? संविधान दिवस पर आज उच्चतम न्यायालय के निर्णय से संविधान की रक्षा हुई है ।