एनआरसी व सीएए के विरोध में भीमसेना ने किया प्रदर्शन

एनआरसी व सीएए के विरोध में भीमसेना ने किया प्रदर्शन


पुतला दहन कर केंद्र सरकार से कानून को वापस लेने की मांग 


बैतूल। एनआरसी व सीएए के विरोध में मंगलवार भीम सेना एवं मुस्लिम संगठन के युवाओं ने डॉ भीमराव अंबेडकर चौक पर उग्र प्रदर्शन कर जिलाध्यक्ष तक्षित सोनारे के नेतृत्व में महामहिम राष्ट्रपति के नाम एसडीएम को ज्ञापन सौंपा। इस दौरान कार्यकर्ताओं ने  पुतला दहन कर केंद्र सरकार से इस कानून को वापस लेने की मांग की। भीम सेना के स्वतंत्र प्रदेश प्रभारी पंकज अतुलकर ने कहा कि सरकार जनता के विभिन्न ज्वलंत समस्याओं से ध्यान भटकाने के लिए तरह तरह के कानून बना रही है। केंद्र सरकार की असंवैधानिक नीतिया की वजह से देश में अराजकता का माहौल पैदा हो गया है। यह काला कानून केवल मुस्लिम ही नहीं बल्कि पूरे बहुजनों के विरोध में है। इसके विरोध में पूरे बहुजनों को आगे आना होगा। सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून में धर्म के आधार पर भेदभाव किया गया है, जो संविधान में प्रदत्त मौलिक अधिकार का उल्लंघन है।
जिला प्रशासन को सौंपे ज्ञापन में भीम सेना ने बताया कि स्वतंत्रता समानता और सौहार्द भारतीय संविधान की तीन मूल प्रतिबद्धता है जो देश के लिए एक समान है नागरिक संशोधन कानून एवं प्रस्तावित राष्ट्रीय नागरिकता पंजी एनआरसी देश के एक बहुत बड़े वर्ग से वादाखिलाफी है, यह उनकी स्वतंत्रता का हनन है तथा उनके बीच असमानता का भाव पैदा करता है, हो सकता है कि इससे देश के दो बड़े समुदायों के बीच सौहार्द हमेशा के लिए खत्म हो जाए। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का दावा है कि सीएए इसलिए लाया गया है ताकि पाकिस्तान और बांग्लादेश के अवैध आव्रजको को भारतीय नागरिकता दी जाए जो उनके देशों में धार्मिक अत्याचारों से बचकर यहां आ गए हैं। भीम सेना का कहना है बात जब सभी आव्रजकों को राहत देने की है तो उन्हें धर्म के आधार पर बांटने की कोई वजह नहीं है। अगर यह कहा जाता है कि मुस्लिम आव्रजकों को नागरिकता नहीं दी जाएगी, लेकिन हिंदू, बौद्ध, पारसी और सिखों को दी जाएगी तो यहां मुस्लिमों को समान कानूनी संरक्षण देने से इनकार करने के बराबर है जो संविधान की मूल भावना के विरुद्ध है। असम में एनआरसी की अंतिम जारी सूची में 19 लाख 6657 लोगो को सूची से बाहर कर दिया गया जो कि नागरिक अधिकारों से वंचित होकर राज्य विहीन हो जाएंगे। गृह मंत्रालय द्वारा 31 जुलाई को एक अधिसूचना जारी की गई है जिसके अनुसार अखिल भारतीय स्तर पर राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी तैयार की जाएगी कि वे अपने नागरिकता प्रमाणित करें। इसमें यह आशंका व्यक्त की जा रही है कि लगभग 4 से 5 करोड़ से अधिक लोग अपनी नागरिकता खो सकते हैं। इस प्रकार यह कानून इस देश के एससी, एसटी, ओबीसी एवं माइनॉरिटी वर्ग के ज्यादातर लोगों को अधिकारों से वंचित करने वाला है। ज्ञापन के माध्यम से भीम सेना ने नागरिकता संशोधन कानून को वापस लेने एवं एनआरसी को देश हित में लागू नहीं करने का आग्रह किया। ज्ञापन सौंपने वालों में प्रमुख रुप से
 प्रदेश प्रभारी पंकज अतुलकर, मुकेश गायकवाड़, अमरदीप भालेकर, सचिन खातरकर, अलीम खान, जैद खान,अनवर खान, दिलीप धुर्वे,संदीप धुर्वे, राजेश धुर्वे, आशिक अली, मफ्फु खान,यशीर खान,नावेद खान, उमेर खान समेत इंद्रकुमार शेषकर,
महेश शाह उईके, नाजिद खान,इत्तेशाम, मनीष चौकीकर, रितिक पण्डागरे, अरुण पंडोले, विक्की यादव, सन्तोष चौकीकर, मुजाहिद अली,प्रशांत मासतकर, प्रह्लाद गोचरे, आकाश मासतकर, नीलेश, रम्मू,गौतम, दीपक,सुमित, श्याम पाटिल, जितेंद्र लोखंडे आदि शामिल थे।