पंचायतों के घोटालों में शोकाज देते है पर एफआईआर नहीं करवाते!
- सूरगांव पंचायत में उपयंत्री, सचिव, सरपंच एवम् रोजगार सहायक पर है रिकवरी
-जनपद बैतूल की हर पंचायत में दफन है कई घपले, जांच के बाद भी नहीं होती कार्रवाई
बैतूल। जनपद बैतूल की पंचायतों में इतने घपले घोटाले दफ़न है कि जिस भी पंचायत में जांच होती है वहीं से लाखों का गोलमाल उजागर हो जाता है। मामला उजागर होने और जांच में घपले-घोटाले के प्रमाण मिलने के बाद भी दोषियों के खिलाफ न तो आपराधिक प्रकरण दर्ज होता है और न ही उन्हें पद से हटाया जाता है। इसलिए पंचायतों में जिसको जहाँ मौका मिलता है वह वहीं अपना खेल दिखाना शुरू कर देता है। इस खेल में पंचायत के अलावा जनपद के जिम्मेदारों का भी किरदार साफ दिखाई देता है । इसलिए घपले-घोटालों पर ठोस कार्रवाई की जगह केवल शोकाज नोटिस जैसी औपचारिकता की जाती है।
ताजा मामला सूरगांव पंचायत का है जहां एक शिकायत की जांच में गम्भीर अनियमितता पाई गई और आरोपियों पर करीब 18 लाख की रिकवरी भी निकाली गई पर कार्रवाई शोकाज नोटिस से आगे नहीं बढ़ी। इस मामले में उपयंत्री से लेकर सरपंच, सचिव और रोजगार सहायक तक को जिम्मेदार मानते हुए उनसे अलग अलग राशि की रिकवरी की अनुशंसा जांच में की गई है पर शोकाज नोटिस देने के दो माह बाद भी कार्रवाई के नाम पर परिणाम शून्य है।
- जांच तो हो गई पर कार्रवाई नही...
रामू चरपे ने सूरगाव पंचायत में किए गए निर्माण कार्यो में घटिया निर्माण, गबन आदि अन्य आरोप लगाते हुए जांच की मांग की। इस शिकायत के आधार पर एक पांच सदस्यीय दल बनाया। इस दल में जनपद बैतूल के पंचायत इंस्पेक्टर से लेकर, पी ओ मनरेगा, सहायक लेखा अधिकारी आदि को रखा गया। इस जांच और उसकी रिपोर्ट के बाद भी अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। इससे शिकायतकर्ता भी निराश है।
- हर निर्माण में मिला घटिया होने का प्रमाण...
जांच दल को नलजल योजना, किशन के घर से जगदीश के घर तक 330 मीटर सड़क, प्राथमिक शाला बाउंड्रीवाल, स्कूल के सामने सीसी रोड सह नाली निर्माण, बोन्द्रया के खेत मे मेढ़ बंधान, सोकपिट, नत्थ्या के घर से बजरंग मंदिर तक सीसी रोड निर्माण सह नाली निर्माण, वृक्षारोपण, चेकडैम गोविंद के घर के पास और कम्प्यूटर सामग्री खरीदी आदि कुल मिलाकर 16 काम मे घटिया निर्माण और अन्य अनियमितताएँ सामने आई।
- शोकाज के बाद चुप्पी, जिम्मेदारों पर सवाल...
जांच प्रतिवेदन मिलने के बाद जिला पंचायत से सीईओ जनपद के माध्यम से सरपंच को 7,63,886 रुपए, तत्कालीन सचिव जगदीश दामडे को 7,50,231 रुपए,रोजगार सहायक सुनील अमरघडे को 76,128 रुपए, उपतन्त्री निशा पाटिल को 2,21,743 रुपए, उपयंत्री कमलेश साहू पर 31,132, तत्कालीन सचिव रघुनाथ ठाकरे पर 13,555 की रिकवरी निकाली गई। इसके बाद इसकी रिकवरी के लिए मप्र पंचायत राज ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 के तहत नोटिस दिया गया।
- यह उठ रहे सवाल...
1. जांच रिपोर्ट के बाद धारा 40 में कार्रवाई क्यों नहीं की गई?
2. मामला शासकीय धन के दुरुपयोग का है फिर भी एफआईआर क्यों नही?
3. क्या मामले में शोकाज नोटिस ही पर्याप्त कार्रवाई है?
4.क्या रिकवरी को लेकर कोई ठोस कदम उठाया गया, क्या रिकवरी जल्दी करने कुछ ठोस किया गया?
5. क्या जनपद बैतूल के अन्य अधिकारी भी इसमे हैं जिम्मेदार ?
6. शोकाज के दो माह बाद भी क्या कारण है फाइल आगे नहीं बढ़ रही?