मुस्लिम समुदाय ने कहा हम अपना नाम एनपीआर में दर्ज नही कराएगें सीएए, एनआरसी तथा एनपीआर को रद्द करने सैकड़ों लोगों ने सौंपा ज्ञापन

मुस्लिम समुदाय ने कहा हम अपना नाम एनपीआर में दर्ज नही कराएगें सीएए, एनआरसी तथा एनपीआर को रद्द करने सैकड़ों लोगों ने सौंपा ज्ञापन


मुलताई


बैतूल की आवाज ꫰ हमारे पुरखे सदियों से भारत में रहे हैं तथा उन्होने आजादी के आंदोलन में महत्वूपर्ण भूमिका भी निभाई थी। विभाजन के समय हमारे सामने जब विकल्प मौजूद थे तब भी हमारे पुरखों ने भारत में ही रहने का फैसला किया जिस पर हमें गर्व है इसलिए हम पर अविश्वास कर हमारी पहचान को संकट में मत डालिए। यह गुहार ज्ञापन के माध्यम से शुक्रवार सैकड़ों की संख्या में तहसील कार्यालय पहुंचे मुस्लिम समुदाय के लोगों ने अधिकारी से लगाई गई। दोपहर बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने फव्वारा चौक स्थित मस्जिद से रैली निकालकर सीएए, एनआरसी तथा एनपीआर का विरोध जताया गया। इस दौरान मुस्लिम समुदाय के युवा बैनर, पोस्टर एवं तख्तियां लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। मुस्लिम समुदाय के लोगों ने अधिकारियों से स्पष्ट कहा कि वे एनपीआर में अपना नाम दर्ज नही कराएगें चाहे इसके लिए उन्हे धरना, आंदोलन सहित किसी भी प्रकार का विरोध क्यों न करना पड़े। उन्होने कहा कि हमारे साथ देश के बुद्धिजीवी लोग तो खड़े ही हैं साथ ही सभी भूमिहीन, आदिवासी , दलित, नोरमेडिक ट्राईब्स एवं निराश्रित भी हैं जिनके पास पहचान के कोई दस्तावेज नही हैं।
70 हजार करोड़ व्यर्थ खर्च न कर हमारे कल्याण पर कर


सीएए, एनआरसी तथा एनपीआर का विरोध करने पहुंचे सैकड़ों की संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने कहा कि देश के नागरिकों के पास आधार कार्ड, वोटर आईडी, राशन कार्ड, जाब कार्ड, बैंक एकाउंट, लायसेंस जैसे 14 पहचान पत्र पहले से ही मौजूद हैंं इसलिए नागरिकता कार्ड बनाने के लिए 70 हजार करोड़ रूपए व्यर्थ खर्च नहीं करते हुए हमारे कल्याण पर खर्च करें।
अल्पसंख्यकों तथा विद्यार्थियों के साथ हुई हिंसा का जिम्मेदार कौन
ज्ञापन देने पहुंचे मुस्लिम समुदाय के लोगों ने अधिकारियों से कहा कि उत्तर प्रदेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हुई हिंसा की ओर भी वे ध्यान आकृष्ट कराना चाहते हैं। उन्होने कहा कि उत्तर प्रदेश की सरकार भंग कर तत्काल रोकने की जरूरत है। साथ ही जेएनयू, जामिया, एएमयू, उस्मानिया तथा अन्य विश्वविद्यालयों में विद्यार्थियों पर किए जा रहे पुलिस दमन को तत्काल रोका जाना चाहिए। मुस्लिम समाज के युवाओं ने कहा कि विश्वविद्यालयों में छात्र-छात्राओं द्वारा किए जा रहे आंदोलन का वे सभी समर्थन करते हैं। विद्यार्थियों पर हुई हिंसा का जिम्मेदार कौन है यह भी सामने आना जरूरी है।
पूरे देश में कानून का हो रहा विरोध
मुस्मिल समुदाय के लोगों ने ज्ञापन देने के दौरान अधिकारियों से कहा कि यह कानून भेदभाव पूर्ण तथा असंवैधानिक है क्योंकि आजादी के पूर्व एवं बाद में कभी किसी कानून का इतना जबरदस्त विरोध आम नागरिकों द्वारा नही किया गया है। समाज के लोगों ने कहा कि हम मजहबी कारणों या किसी पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर कानून का विरोध नही कर रहे हैं। विरोध इसलिए हो रहा है कि यह हमारी नागरिकता पर प्रश्रचिन्ह खड़े कर रहा है।