बैतूल के किले बताते हैं गोंडराज का इतिहास, ऐेतिहासिक धरोहर सहजने की जरूरत

बैतूल की आवाज/आर डी पाटिल


बैतूल के किले बताते हैं गोंडराज का इतिहास, ऐेतिहासिक धरोहर सहजने की जरूरत
बैतूल जिले में खेड़ला किला, भंवरगढ़, सांवलीगढ़, शेरगढ़ और असीरगढ़ किला शामिल हैं। पांच सौ साल से ज्यादा पुराने इन...


बैतूल जिले में खेड़ला किला, भंवरगढ़, सांवलीगढ़, शेरगढ़ और असीरगढ़ किला शामिल हैं। पांच सौ साल से ज्यादा पुराने इन आदिवासी किलों में गोंडराज के इतिहास की झलक मिलती है। 


खेड़ला किले का इतिहास 


जिला मुख्यालय से सात किमी दूर बैतूल-आमला मार्ग से सटा है खेड़ला किला। इस किले को राजा ईल द्वारा बनाया गया था। खेड़ला किले में 1365 में राजा हरदेव, 1398 में नरसिंह राय थे। मुगल साम्राज्य के पतन के बाद यह राज्य राधोजी भोंसले के अधिकार में चला गया। बुरहान शाह और उसके भाई के आपस में झगड़े का फायदा भोंसले ने उठाया और खेड़ला पर कब्जा कर लिया. उसने अपनी राजधानी खेड़ला को बनाया. सन् 1818 ई. में सीताबर्डी की लड़ाई में अंग्रेजों ने भोंसले से खेड़ला छीन लिया। जेएच काॅलेज के पर्यटन विषय के प्राेफेसर दिनेश शास्त्री, आारजी राने कहते हैं कि बैतूल जिले में किले ताे बहुत हैं, लेकिन इन धराेहर काे सहजने की जरूरत है। आदिवासी संगठन से जुड़े अनुराग माेदी कहते हैं कि पुरातत्व विभाग है, लेेकिन उन्हाेंने कभी भी इन किलाें काे रेखांकित करने की जरूरत महसूस नहीं की। 


बैतूल। बैतूल का आदिवासी खेड़ला किला। 


असीरगढ़ किला : बैतूल के उत्तरपूर्व में लगभग 64 किमी दूर और शाहपुर तहसील से करीब 30 किमी दूर रामपुर के सुरक्षित वनक्षेत्र से होकर यहां पहुंचा जा सकता है। यह समुद्रतल से करीब 686 मीटर ऊंचाई पर है। यह दुर्ग आदिवासी अधिपत्य में था। इसका संबंध देवगढ़ (छिंदवाड़ा) के प्रसिद्ध गोंड शासकों से बताया जाता है। यह किला आदिवासियों की कहानियां समेटे हुए है। 1857 में अंग्रेजों से बगावत करने वाला भभूत सिंह यहीं का रहने वाला था। जंगल की लड़ाई में शहीद होने वाला भभूत सिंह मध्यप्रदेश का पहला आदिवासी है, जिसे (1861 में) जबलपुर जेल में फांसी दे दी गई थी। इसके बाद ही 1862 में बोरी क्षेत्र के जंगलों पर कब्जा कर लिया गया। असीरगढ़ किला अब जीर्ण-शीर्ण हो गया है। दीवाराें में छेद हाे गए हैं। वहीं कुछ ढह गई हैं। इसके अलावा यहां पानी की बावली और मंदिर है। मंदिर की दीवारें भी कमजाेर हाे चुकी हैं। 


शाहपुर। पावरझंडा के पास है भंवरगढ़ किला। 


भंवरगढ़ किला : शाहपुर से करीब 14 किमी दूर पश्चिम में पावरझंडा के पास भंवरगढ़ किला है। यह किला अादिवासी राजाअाें की निशानी में से एक है। पत्थराें और पीली मिट्टी की दीवाराें से बना यह किला समुद्र तल करीब 800 मीटर ऊंचाई पर है। यह मुगल काल से पुराना है। इस किले में एक मंदिर और तालाब, बावली है। यहां पर पानी की कमी नहीं हाेती है। दुश्मनों से रक्षा के लिए आदिवासी किले को पहाड़ पर बनाते थे। हमलावर अासानी से किले तक नहीं पहुंच पाते थे। यहां स्थित मंिदर में त्याैहाराें अाैर पर्व पर लोग अाते-जाते हैं। बारिश नहीं हाेने पर लाेग यहां पर मन्नत मांगते हैं। पहावाड़ी के मुकेश मालवीय ने इस किले को लेकर पुरातत्व विभाग को अवगत कराया है। शाहपुर कॉलेज के छात्रों ने प्रोफेसर महेंद्र गिरी के नेतृत्व मंे यहां हाल में साफ-सफाई की थी।