खदानों के आवंटन की जांच में फंसे खनिज अफसर की बहाली पर उठ रहे सवाल
सीएस करवा रहे जांच,
कलेक्टर के आरोप-पत्र का भी नहीं किया इंतजार इंदौर की खदानों के आवंटन में गड़बड़ी, सरकारी...
सीएस करवा रहे जांच, कलेक्टर के आरोप-पत्र का भी नहीं किया इंतजार
इंदौर की खदानों के आवंटन में गड़बड़ी, सरकारी राजस्व को नुकसान पहुंचाने और रंगवासा की 50 एकड़ खदान मामले की जांच में फंसे जिला खनिज अधिकारी प्रदीप खन्ना की बहाली सवालों के घेरे में है। खनिज विभाग ने हाईकोर्ट की निगरानी में मुख्य सचिव एसआर मोहंती के अधीन चल रही जांच पूरी होने और इंदौर कलेक्टर से निलंबन के बाद आरोप पत्र जारी होने के पहले ही बहाली कर दी है। हाईकोर्ट के निर्देश पर ईओडब्ल्यू खदान आवंटन की जांच अलग से कर रहा है।
संभागायुक्त आकाश त्रिपाठी ने जिला खनिज अधिकारी प्रदीप खन्ना को 22 नवंबर 2019 को निलंबित किया था। इसमें मध्यप्रदेश खनिज नियम 2005 के नियम 16 के अनुसार खदानों के गलत नवीनीकरण करने, सांवेर के मालाखेड़ी में सिया की मंजूरी के बिना क्रेशर खदान चलने देने, तालाब गहरीकरण के नाम पर अवैध खनन होने, सरकारी भूमि को निजी मानकर नवीनीकरण करने, बकायादारों से वसूली नहीं होने, अवैध भंडारण का एक केस नहीं बनाने जैसे गंभीर मामलों में निलंबन हुआ था। इससे राज्य शासन को आर्थिक हानि हुई है। इसके बावजूद विभाग ने अवधि के 45 दिन में कलेक्टर से आरोप पत्र जारी होने के पहले 23 जनवरी को प्रदीप खन्ना का निलंबन समाप्त कर दिया गया है। प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई के निर्देशों पर इंदौर में वापस बहाली कर दी गई है। खन्ना की बहाली आदेश में कलेक्टर के आरोप पत्र जारी होने और विभागीय जांच शुरू होने पर अलग से फैसला लेने का उल्लेख किया गया है।
हाईकोर्ट का नोटिस
इंदौर के रंगवासा की 50 एकड़ खदान के आवंटन में हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव एसआर मोहंती और ईओडब्ल्यू को आवंटन प्रक्रिया की जांच करने के निर्देश दिए हंै। इसमें प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई, खनिज संचालक विनित कुमार आइंस्टीन और जिला खनिज अधिकारी प्रदीप खन्ना की भूमिका पर जांच शुरू की गई है। ईओडब्ल्यू भी इस मामले में जांच कर रहा है, क्योंकि इससे शासन को राजस्व की हानि हुई है।